भारत ने पुणे में खेला गया चौथा t-20 मैच 15 रनो से जीतकर 5 मैचों की श्रृंखला में अजेय बढ़त बना ली है। अजेय बढ़त का मतलब अब पांचवे t-20 का रिजल्ट कुछ भी आये भारत ये श्रृंखला हार नहीं सकता।

भारतीय कप्तान सूर्य कुमार यादव ने टॉस जीता और बड़ी मुस्कान के साथ पहले बल्लेबाजी का फैंसला किया। परन्तु इस मुस्कान को मायूसी में बदलते देर नहीं लगी जब श्रृंखला में पहली बार खेल रहे शाकिब महमूद ने पारी के दूसरे और अपने पहले ओवर में ही बिना कोई रन दिए 3 खिलाडियों को पवेलियन वापस भेज दिया।

संजू सेमसन अपने चिर परिचित अंदाज में आउट हुए, तिलक वर्मा अपनी पहली गेंद को उड़ाने के चक्कर में थर्ड मैन पर जोफरा आर्चर के हाथों पकडे गए और ओवर की आखिरी गेंद पर सूर्य कुमार यादव इंग्लिश कप्तान जोश बटलर द्वारा t-20 की सबसे आक्रामक फील्डिंग का शिकार बने।

रिंकू सिंह और अभिषेक शर्मा ने भारतीय पारी को संभाला

रिंकू सिंह और अभिषेक शर्मा ने पारी को संभाला। अभिषेक शर्मा इस श्रृंखला में अच्छे दिखे हैं और रिंकू सिंह ने भी अपने अंदाज में कुछ अच्छे शाट खेले और भारतीय पारी को 50 के पर पहुँचाया। परन्तु विराट कोहली को क्रिकेट के किसी भी प्रारूप में सबसे ज्यादा तंग करने वाले आदिल रशीद ने आठवें ओवर की दूसरी गेंद पर अभिषेक शर्मा को आउट कर इस सांझेदारी को तोड़ दिया उस समय टीम का स्कोर 57 रन था और भारत का 57/4 हो गया।

उनकी जगह बल्लेबाजी करने आये शिवम् दुबे को भी आदिल रशीद ने अपने जाल में फंसा ही लिया था परन्तु पहली स्लिप में खड़े जोश बटलर ने अपने से दूर जाता हुआ एक मुश्किल कैच छोड़ दिया नहीं तो स्कोर उसी समय 57/5 हो जाता। उसी ओवर की आखिरी गेंद पर शिवम् दुबे ने अपने तेवर दिखाते हुए एक लम्बा छक्का लगा कर अपने तेवर जाहिर कर दिए।

हार्दिक पांड्या और शिवम् दुबे ने की ताबड़ तोड़ बल्लेबाजी

73 रन के कुल योग पर रिंकू सिंह भी थर्ड मैन के हाथो पकडे गए उनका विकेट ब्रिडोंन कार्स (Brydon Carse) ने लिया। उसके बाद खेलने उतरे हार्दिक पांडया और यहाँ से लोगों ने भारतीय टीम का वही चिर परिचित अंदाज देखा जिसके लिए इस समय टीम इंडिया t-20 में मशहूर है।

लेकिन ये बल्लेबाजी आँखे बंद कर के की गई बल्लेबाजी नहीं थी बल्कि ये मुश्किल समय में की गई सेंसिबल बल्लेबाजी थी जिसमे भारत की विश्व विजेता टीम में शामिल इन दोनों बल्लेबाजो, शिवम् दुबे और हार्दिक पांडया ने अंग्रेजो को विकेट के दोनों और भगाकर 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन की याद दिला दी

इन दोनों ने 44 गेंदों में 87 रन की सांझेदारी करके भारत की उमीदों को जागृत रखा। इस प्रकार भारत ने 20दूसरी ओवरों में 9 विकेट के नुक्सान पर 181 रन बनाये।

इंग्लैंड की ताबड़ तोड़ शुरुआत

भारत की उमीदे उस समय टूटती हुई दिखाई दी जब अंग्रेजो ने ताबड़ तोड़ बल्लेबाजी करते हुए अंग्रेजी शासन की यादे फिर से ताज़ा कर दी। शृंखला में अभी तक असफल रहे फिल साल्ट ने अर्शदीप के पहले ही ओवर में 2 चौके जड़ दिया।

तो पिछले मैच में अर्धशतक लगाने वाले बेन डकेट ने अर्शदीप के तीसरे ओवर में लगातार 3 चौके जड़ दिए। भारत का केवल एक फ़ास्ट बॉलर खिलाने का निर्णय गलत साबित हो रहा था क्यूंकि बेन डकेट ने अक्षर पटेल को लगातार गेंदों पर चौका और छक्का मारते हुए टीम का स्कोर 4.5 ओवर में ही 53 कर दिया और अभी इंग्लैंड के 10 के 10 विकेट बचे हुए थे

ऐसे लग रहा था जिस तरह से 1857 तक अंग्रेजो की केवल एक कंपनी, ईस्ट इंडिया कंपनी भारत पर शासन कर रही थी उसी प्रकार ये दोनों ही इंग्लैंड को मैच जीता कर निकल जायेंगे। परन्तु तभी पहले दो मैचों में बिना विकेट के रहने वाले रवि विश्नोई ने बेन डकेट को एक्स्ट्रा कवर पर सूर्य कुमार यादव के हाथों कैच करवा कर इस सांझेदारी को तोड़ दिया।

और अगले ओवर में बापू नाम से मशहूर अक्षर पटेल ने आर्म बॉल डालते हुए फिल साल्ट की गिल्लियां बिखेर दी। अंग्रेजो को वैसे भी बापू नाम से बड़ी परेशानी रही है। उसके अगले ही ओवर में सामने आता है एक नया चेहरा, भारतीय प्रसंशको के लिए नया नहीं परन्तु क्यूंकि अभी t-20 में इस चेहरे ने डेब्यू नहीं किया था इसलिए नया था।

ये चेहरा मैदान पर तब दिखा जब जोश बटलर रवि विश्नोई की गेंद पर शार्ट थर्ड पर खड़े हर्षिद राणा के हाथों पकडे गए थे। अभी तक भारतीय प्रसंशक ये सोच रहे थे कि वो किसी की रिप्लेसमेंट के तहत फील्डिंग करने आये थे परन्तु वो आये थे शिवम् दुबे की जगह कन्कशन सब्स्टिटूट (concussion substitute) के रूप में।

क्या कहता है कन्कशन सब्स्टिटूट (concussion substitute) का नियम

जब भारतीय पारी का आखिरी ओवर कर रहे जैमी ओवरटन की गेंद शिवम् दुबे के सर पर लग जाती है तो नियम के अनुसार वो शिवम् दुबे रेस्ट कर सकते थे और भारतीय टीम उनकी जगह उनकी तरह का खिलाडी रिप्लेसमेंट के रूप में ले सकती थी।

इस नियम के अनुसार अगर किसी खिलाडी के सर पर गेंद लग जाती है तो खिलाडी रेस्ट कर सकता है और टीम उसकी जगह उसी तरह के किसी दूसरे खिलाडी को मैदान पर उतार सकती है परन्तु ये रेप्लेस्मेंट लाइक टू लाइक होनी चाहिए। अर्थात उस खिलाडी में जितना सामर्थ्य होगा नए खिलाडी में भी उतना ही सामर्थ्य होना चाहिए। इस नियम को 1 जुलाई, 2019 से लागू किया गया था।

कन्कशन सब्स्टिटूट (concussion substitute) का फायदा भारतीय टीम को मिला

इस कन्कशन सब्स्टिटूट (concussion substitute) के नियम का फायदा भारतीय टीम को मिला क्यूंकि ये सब लोग जानते हैं कि शिवम् दुबे अपनी गेंद से क्या ही कमाल दिखा सकते थे।

वो वर्ल्ड कप विनिंग टीम का हिस्सा थे और उन्होंने पुरे वर्ल्ड कप में कितनी बॉलिंग की थी ये सब जानते हैं। लेकिन मैच रेफ़री की अनुमति से ही कन्कशन सब्स्टिटूट को मैदान में उतारा जाता है और अगर किसी टीम में कोई लाइक टू लाइक रिप्लेसमेंट नहीं होती है तो ये मैच रेफ़री का निर्णय होता है कि किसको मैदान में उतारा जाये।

लेकिन शिवम् दुबे के कन्कशन सब्स्टिटूट के रूप में मैदान पर उतरे हार्षिद राणा ने 143 km/h से गेंदे फेंकी जबकि शिवम् दुबे ऐसा करने की कल्पना भी नहीं सकते और फ़ास्ट बॉलिंग में एक हार्षिद राणा ही थे जो अंग्रेजो को परेशान कर रहे थे।

अंग्रेजो के सामने आउट ऑफ़ स्लेबस प्रश्न पत्र आ चूका था जिसकी तयारी भी उन्होंने नहीं की थी उन्होंने 33 रन देकर 3 विकेट लिए और इस मैच की दिशा ही बदल दी। इस प्रकार शिवम् दुबे ने पहले अर्धशतक लगाया और हार्षिद राणा ने बाद में उनकी जगह आकर 3 विकेट चटकाए और मैच भारत की झोली में डाल दिया।

पहले भी मिल चूका है कन्कशन सब्स्टिटूट (concussion substitute) के नियम का भारत को फायदा

पहले भी भारत को इस नियम का फायदा मिल चूका है जब ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध एक मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए रविंद्र जडेजा ने तावड़ तोड़ बल्लेबाजी की थी और जब उनके हेलमेट पर एक गेंद लग गई थी तो उनके कन्कशन सब्स्टिटूट (concussion substitute) के रूप में उतरे यजुवेंद्र चाहल ने अपनी बॉलिंग से ऑस्ट्रेलिया को धरासाई कर दिया था।