क्रिकेट, भारत में सबसे लोकप्रिय खेलों में से एक है, जिसे अक्सर “जेंटलमैन गेम” कहा जाता है। लेकिन क्या यह वास्तव में इतना “भद्र” है? कई घटनाएं ऐसी हुई हैं जो इस खेल की खतरनाक साइड को उजागर करती हैं।

अभी हाल ही में नूज़ीलैण्ड के रचिन रविंद्रा, पाकिस्तान के खिलाफ एक मैच के दौरान, फ्लड लाइट (floodlights) के कारण गेंद को अच्छी तरह से नहीं देख पाए जिससे गेंद उनके चेहरे पर लगी और वह बुरी तरह घायल हो गए।

परन्तु ये पहला मौका नहीं है कि कोई खिलाडी मैच के दौरान चोटिल हुआ हो कुछ मौकों तो खिलाडियों को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ा है।

क्रिकेट की दुखद घटनाएं

  • पूर्व भारतीय क्रिकेटर रमन लांबा को एक क्लब मैच में फॉरवर्ड शॉर्ट लेग पर फील्डिंग करते समय सिर पर गेंद लग गई जिससे 23 फरवरी, 1998 को उनका निधन हो गया।
  • 2014 में, ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेटर फिलिप ह्यूज की एक गेंद लगने से मृत्यु हो गई थी। उनकी मृत्यु ने क्रिकेट जगत को हिलाकर रख दिया था और सुरक्षा के मुद्दे पर बहस छेड़ दी थी।
  • 2015 में, दक्षिण अफ्रीका के खिलाड़ी रेयान मैकलारेन की भी गेंद लगने से मृत्यु हो गई थी।
  • 2017 में, बांग्लादेश के क्रिकेटर नजमुल इस्लाम अपु की भी गेंद लगने से मृत्यु हो गई थी।

क्रिकेट का खेल एक भयानक वास्तविकता है जो खेल के मैदान को त्रासदी में बदल सकती है। यह उस स्थिति को दर्शाता है जब क्रिकेट मैच के दौरान कोई गंभीर दुर्घटना होती है, जिसके परिणामस्वरूप खिलाड़ियों या दर्शकों को गंभीर चोटें आती हैं, या दुर्भाग्यवश, किसी की जान भी जा सकती है।

खतरनाक पहलू

तेज गेंदबाजों की गेंदें 150 किलोमीटर प्रति घंटे से भी अधिक की गति से आती हैं, जो बल्लेबाजों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती हैं। कई बार गेंद लगने से खिलाड़ियों की हड्डियां टूट जाती हैं या उन्हें गंभीर चोटें आती हैं।

क्रिकेट में फील्डिंग के दौरान भी खिलाड़ियों को जोखिम होता है। कैच लेते समय या गेंद को रोकने के प्रयास में कई बार खिलाड़ी चोटिल हो जाते हैं।

फिलिप ह्यूज की मौत के बाद क्रिकेट में बहुत से बदलाब किये गए

फिलिप ह्यूज की दुखद मौत के बाद क्रिकेट जगत में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जिनका उद्देश्य खिलाड़ियों की सुरक्षा को बढ़ाना है। इनमें से कुछ प्रमुख बदलाव इस प्रकार हैं

हेलमेट में सुधार: फिलिप ह्यूज की घटना के बाद हेलमेट निर्माताओं ने हेलमेट के डिज़ाइन में सुधार किए हैं। अब हेलमेट में गर्दन के पिछले हिस्से को ढकने के लिए अतिरिक्त सुरक्षात्मक गार्ड लगाए जाते हैं।

कनकशन प्रोटोकॉल: कन्कशन का मतलब है, सिर पर चोट लगने के कारण होने वाली हल्की मस्तिष्क चोट। खिलाड़ियों के सिर में चोट लगने के बाद कनकशन (Concussion) की जांच के लिए नए प्रोटोकॉल बनाए गए हैं। यदि किसी खिलाड़ी को गेंद लगती है या सिर में कोई अन्य चोट लगती है, तो मैदान पर ही उसकी जांच की जाती है।

यदि कनकशन के लक्षण दिखाई देते हैं, तो खिलाड़ी को मैदान से बाहर कर दिया जाता है और उसे चिकित्सा सहायता प्रदान की जाती है और उसी स्तर के दूसरे खिलाडी को टीम में खिलाया जाता है। अभी हाल ही में हर्षित राणा को कनकशन सब्स्टिटूट के रूप शिवम् दुबे की जगह खिलाने पर बहुत विवाद हुआ था।

बाउंसर नियम: बाउंसर गेंदों के इस्तेमाल को लेकर भी कुछ नियम बदले गए हैं। अब गेंदबाजों को बाउंसर की संख्या को सीमित कर दिया है ताकि बल्लेबाजों पर अधिक दबाव न बने। इसके साथ ही अंपायरों को भी यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि बाउंसर खतरनाक न हों।

खिलाड़ियों की मानसिकता में बदलाव: फिलिप ह्यूज की घटना के बाद खिलाड़ियों की मानसिकता में भी बदलाव आया है। अब गेंदबाज बल्लेबाजों को निशाना बनाने से बचते हैं और उनकी सुरक्षा का ध्यान रखते हैं। इसके साथ ही बल्लेबाज भी अधिक सतर्क रहते हैं और सुरक्षा उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं।

चिकित्सा सहायता में सुधार: क्रिकेट मैचों के दौरान चिकित्सा सहायता में भी सुधार किया गया है। अब मैदान पर हमेशा प्रशिक्षित चिकित्सा कर्मचारी मौजूद रहते हैं, जो किसी भी आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई कर सकें।

क्रिकेट की कठोर गेंद: एक चुनौती और खतरा

क्रिकेट के खेल में , क्रिकेट की गेंद का एक अहम रोल होता है। और जब बात क्रिकेट की गेंद की हो, तो उसकी कठोरता का जिक्र होना लाजिमी है। क्रिकेट की गेंद, खासकर नई गेंद, काफी कठोर होती है।

यह कठोरता गेंदबाजों के लिए एक हथियार साबित होती है, जिससे उन्हें गेंद को स्विंग कराने और गति प्राप्त करने में मदद मिलती है। लेकिन यही कठोरता बल्लेबाजों के लिए एक चुनौती और खतरा भी पैदा करती है।

क्रिकेट की गेंद बनाने में कई तरह की सामग्री का इस्तेमाल होता है, और हर एक सामग्री का अपना खास काम होता है।

कॉर्क (Cork):

  • यह गेंद का सबसे अंदरूनी हिस्सा होता है।
  • कॉर्क हल्की और लचीली होती है, जिससे गेंद को उछाल और गति मिलती है।

धागा (Yarn):

  • कॉर्क के चारों ओर धागा लपेटा जाता है।
  • यह धागा कपास या ऊन का बना होता है।
  • धागा गेंद को मजबूती और आकार देता है।

चमड़ा (Leather):

  • गेंद का बाहरी आवरण चमड़े से बना होता है।
  • यह चमड़ा आमतौर पर जानवरों की खाल से तैयार किया जाता है।
  • चमड़ा गेंद को ड्यूरेबिलिटी और चमक देता है।

सिलाई (Stitching):

  • गेंद की सिलाई गेंद को दो हिस्सों में जोड़ती है।
  • यह सिलाई गेंद की गति और स्विंग को प्रभावित करती है।