भारत में क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं, यह एक धर्म है, एक जुनून है, एक संस्कृति है। यह सिर्फ बल्ले और गेंद का खेल नहीं, यह भावनाओं का, एकता का और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है।

लेकिन जब इसमें स्पॉट फिक्सिंग और मैच फिक्सिंग जैसे दाग लगते हैं, तो करोड़ों प्रशंसकों का दिल टूट जाता है। परन्तु फिर भी क्रिकेट के प्रति भारतीयों का प्यार कभी कम होता और वो इस खेल को पहले की तरह ही प्यार देते रहते हैं।

2013 में आईपीएल के दौरान देखने को मिली थी स्पॉट फिक्सिंग

सट्टेबाजी ने खिलाडियों के साथ बॉलीबुड की हस्तियों के साथ साथ बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन तक को पुलिस की गिरफ्त में पहुँचा दिया था जिससे सुप्रीम कोर्ट ने श्रीनिवासन को बीसीसीआई के अध्यक्ष पद से हटा दिया था।

मई 2013 में आईपीएल-VI के दौरान स्पॉट फिक्सिंग के तीन अलग अलग मामलों के खुलासे के पश्चात् राजस्थान रॉयल्स के तीन क्रिकेटरों श्रीसंत, अंकित चव्हाण व अजीत चंडीला को दिल्ली पुलिस के स्पेशल सैल ने 16 मई को मुम्बई में गिरफ्तार किया था।

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11 अन्य सटोरियों को भी उसी दिन पुलिस ने अलग-अलग स्थानों से गिरफ्तार किया जिन्होंने गिरफ्तार किए गए तीनों खिलाड़ियों को विगत 10 दिनों में हुए तीन मैचों में एक-एक ओवर ‘फिक्स’ करने के लिए 1.2 करोड रुपए से अधिक की राशि प्रदान की थी।

जिन मैचों में स्पॉट फिक्सिंग का खुलासा हुआ था उनमें

  • 5 मई, 2013 का जयपुर में पुणे वारियर्स के विरुद्ध राजस्थान रॉयल्स का मैच
  • 9 मई को मोहाली में खेला गया – राजस्थान रॉयल्स बनाम किंग्स इलेविन पंजाब का मैच
  • 15 मई, 2013 को मुम्बई में मुम्बई इंडियस के विरुद्ध राजस्थान रॉयल्स का मैच शामिल थे।
  • स्पॉट फिक्सिंग के लिए लडकियों को माध्यम बनाने के संकेत भी पुलिस को मिले थे।

मैच फिक्सिंग और स्पॉट फिक्सिंग होती क्या है और ये मैच को किस तरह से प्रभावित करती है

नाम से ही स्पष्ट है कि क्रिकेट के खेल में ‘मैच फिक्सिंग’ व ‘स्पॉट फिक्सिंग’ अलग-अलग घटनाएं हैं। ‘मैच फिक्सिंग’ के तहत् जहाँ पूरे मैच का परिणाम ‘फिक्स’ किया जाता है वहीं ‘स्पॉट फिक्सिंग’ के तहत् मैच में किसी गेंद विशेष या ओवर विशेष के लिए फिक्सिंग की जाती है।

क्या है स्पॉट फिक्सिंग

जब कोई खिलाड़ी या खिलाड़ियों का समूह, मैच के किसी खास पल को फिक्स करने के लिए पैसे लेता है उसे स्पॉट फिक्सिंग कहा जाता है ।

जैसे कि, किसी ओवर में कितने रन बनेंगे, कोई खिलाड़ी कब आउट होगा, कौन सी गेंद नो गेंद होगी कौन सी गेंद पर चौका या छक्का लगेगा आदि।

जैसे मान लो कोई t-20 मैच चल रहा है और एक टीम 19 ओवर में 198 रन बना चुकी है और तय है कि वो टीम आराम से 20 ओवर में 200 रन के पर चली जाएगी

परन्तु स्पॉट फिक्सिंग के तहत क्रीज पर जो बल्लेबाज है वो इस तरह से खेलेगा जैसे गेंद उसके बल्ले पर नहीं आ रही और बॉलर बहुत अच्छी बॉलिंग कर रहा है।

इस प्रकार टीम 199 पर ही रुक जाएगी और 200 रन के पार नहीं जाएगी इसको स्पॉट फिक्सिंग कहते हैं। स्पॉट फिक्सिंग मैच के नतीजे को प्रभावित नहीं करता।

मैच फिक्सिंग क्या है

मैच फिक्सिंग में, पूरे मैच के नतीजे को फिक्स किया जाता है। इसमें खिलाड़ी, बुकी और अन्य लोग शामिल होते हैं। यह क्रिकेट के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है, क्योंकि यह खेल की भावना को ही खत्म कर देता है।

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