फखर ज़मान चोट के कारण चैंपियंस ट्रॉफी से बाहर

पाकिस्तान के सलामी बल्लेबाज फखर ज़मान चोट के कारण चैंपियंस ट्रॉफी से बाहर हो गए हैं। यह पाकिस्तान के लिए एक बहुत बड़ा झटका है क्योंकि फखर ज़मान एक शानदार खिलाड़ी हैं उन्होंने पिछली बार चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में शतक लगाया था। पाकिस्तान ने फखर ज़मान की जगह इमाम-उल-हक़ को उनकी रिप्लेसमेंट के तौर पर टीम में शामिल किया है। वो पाकिस्तानी टीम में लगभग 2 साल के बाद खेलेंगे। फखर ज़मान चोट कैसे लगी? फखर ज़मान को यह चोट तब लगी जब वह शाहीन अफरीदी की गेंद पर विल यंग के शॉट को बाउंड्री तक जाने से रोकने के लिए 30 गज के घेरे से बाउंड्री की तरफ भाग रहे थे। उन्होंने गेंद तो रोक ली लेकिन डाइव लगाने के बाद वह अजीब तरीके से गिरे जिसके कारण उन्हें चोट लग गई। फखर ज़मान का का चैंपियन ट्रॉफी में प्रदर्शन कैसा रहा है फखर ज़मान का चैंपियंस ट्रॉफी से बाहर होना पाकिस्तान के लिए एक बहुत बड़ा झटका है। पाकिस्तान की टीम अपना पहला मैच नूज़ीलैण्ड से हार चुकी है और अब उसे हर मैच जीतना जरुरी है जबकि उसका अगला मैच भारत के विरुद्ध 23 फरबरी, रविवार को खेला जायेगा। फखर ज़मान ने पहले भी चैंपियंस ट्रॉफी में भी भाग लिया था। फखर ज़मान ने चैंपियंस ट्रॉफी में कुल 5 मैच खेले हैं। उन्होंने 5 मैचों में 50.25 की औसत से 201 रन बनाए हैं। उनका सर्वोच्च स्कोर 114 रन है जो उन्होंने भारत के खिलाफ फाइनल में बनाया था। उन्होंने चैंपियन ट्राफी में अपने 5 मैचों में 1 शतक और 1 अर्धशतक लगाया है। फखर ज़मान चैंपियंस ट्रॉफी में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों की सूची में 15वें स्थान पर हैं। उन्होंने अपनी टीम को चैंपियन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
क्रिकेट मैच में कमेंट्री कैसे होती है कमेंट्री में करियर कैसे बनाएं

कमेंट्री, किसी भी खेल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। टेलीविज़न पर अगर कमेंट्री न हो रही हो तो शायद कोई टीवी पर मैच देखना पसंद नहीं करेगा। कमेंट्री खेल के दौरान दर्शकों तक उस खेल की जानकारी और खेल में क्या हो रहा है इस जानकारी को पहुँचाने का एक सशक्त माध्यम होती है। एक अच्छी कमेंट्री दर्शकों को खेल के हर पहलू से जोड़ती है और उन्हें दिल को छू जाने बाले रोमांच का अनुभव कराती है। दर्शकों को खेल के साथ साथ, उस खेल के दौरान कमेंट्री से बोले गए शब्द भी अच्छी तरह से याद रहते हैं। पर क्या आप कमेंट्री के बारे में सब कुछ जानते हैं जैसे ये स्टेडियम में कहाँ से की जाती है। कमेंट्री में करियर बनाने के लिए कौन सा विषय चुनना होता है और कमेंटेटर को क्या क्या सुबिधायें मिलती है। तो चलिए इन सब चीज़ों के बारे में जानते हैं। स्टेडियम में कमेंट्री कहाँ से की जाती है कमेंट्री करने के लिए एक विशेष स्थान होता है जिसे कमेंट्री बॉक्स या कमेंट्री बूथ कहा जाता है। अधिकतर कमेंट्री वाला स्थान, स्टेडियम में एक ऊँचाई वाली जगह पर स्थित होता है ताकि कमेंटेटर को मैदान का स्पष्ट दृश्य मिल सके। कमेंट्री बॉक्स में आमतौर पर दो या तीन कमेंटेटर होते हैं जो अपने तरीके से खेल का विश्लेषण करते हैं और दर्शकों को महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाते हैं। कमेंट्री बॉक्स के अंदर कॉमेंटेटर के लिए क्या क्या सुबिधा होती है कमेंट्री बॉक्स में कमेंटेटर के लिए कई तरह की सुविधाएं होती हैं जैसे माइक्रोफोन: कमेंटेटर के लिए माइक्रोफोन बहुत जरूरी है माइक्रोफोन के कारण ही टीवी देख रहे दर्शकों तक कमेंटेटर की साफ और स्पष्ट आवाज पहुँचती है। हेडफोन: स्टेडियम में काफी शोर होता है इसलिए कमेंटेटर हेडफोन का इस्तेमाल करते हैं ताकि वो बिना किसी असुबिधा के कमेंट्री पर ध्यान केंद्रित कर सकें। मॉनिटर: कमेंट्री बॉक्स में मॉनिटर लगे होते हैं जिन पर मैच चल रहा होता है ताकि कमेंटेटर खेल की लाइव फुटेज देख सकें और अपनी कमेंट्री को और बेहतर बना सकें। इंटरनेट कनेक्शन: कमेंट्री के दौरान कई बार इंटरनेट की जरूरत पड़ती है, जैसे खिलाड़ियों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए या फिर लाइव अपडेट्स देखने के लिए। कमेंटेटर बनने के लिए कौन सी पढाई करना जरुरी है वैसे तो जो खिलाड़ी होता है उसको उस खेल के बारे में इतनी जानकारी होती है कि वो बिना किसी डिग्री के भी कॉमेंटेटर बन जाता है परन्तु अगर कोई उस खेल का खिलाड़ी नहीं है तो उसे कौन सी पढाई करनी होगी आइये समझते हैं। खेल पत्रकारिता में डिग्री: कमेंट्री में करियर बनाने के लिए सबसे अच्छा तरीका है खेल पत्रकारिता में डिग्री हासिल करना है । कई विश्वविद्यालय और कॉलेज खेल पत्रकारिता में कोर्स कराते हैं। इन कोर्सों में खेल, खिलाड़ियों और कमेंट्री के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है । संचार कौशल (communication skill) में सुधार: एक अच्छा कमेंटेटर बनने के लिए आपके पास अच्छे संचार कौशल होने चाहिए। इसके लिए पब्लिक स्पीकिंग, डिबेटिंग और ड्रामा आदि में भाग लिया जा सकता है । इससे आवाज, भाषा और बोलने के तरीके को सुधारने में मदद मिलेगी। खेलों का ज्ञान: कमेंट्री करने के लिए आपको खेलों का अच्छा ज्ञान होना चाहिए। इसलिए विभिन्न खेलों के नियम, खिलाड़ियों, और उनकी रणनीतियों के बारे में पता होना चाहिए। इसके लिए खेल पत्रिकाएँ पढ़ी जा सकती हैं, खेल चैनल देख सकते हैं और खिलाड़ियों के इंटरव्यू पढ़ सकते हैं। कमेंट्री के लिए इंटरव्यू कहाँ देना होता है इंटर्नशिप: कमेंट्री में करियर शुरू करने के लिए इंटर्नशिप करना बहुत ज़रूरी है। ये इंटर्नशिप किसी भी खेल चैनल, रेडियो स्टेशन या अखबार में की जा सकती है । इससे कमेंट्री के बारे में प्रैक्टिकल अनुभव मिलेगा और यह समझने में मदद मिलेगी कि यह काम कैसे होता है। इंटर्नशिप आमतौर पर किसी भी कोर्स या डिग्री के अंतिम बर्ष में किसी कंपनी में होती है। और इस तरह से उस कोर्स में सीखी हुई चीज़ों का अनुभव किसी कंपनी में लिया जाता हैं। ऑडिशन: कई खेल चैनल और रेडियो स्टेशन कमेंटेटर के लिए ऑडिशन लेते हैं। इन ऑडिशन में, ऑडिशन देने वाले को अपनी आवाज, भाषा और खेलों के ज्ञान का प्रदर्शन करना होता है। और अगर कोई इस ऑडिशन में सफल हो जाता है तो उसको कमेंट्री करने का मौका मिल सकता है। पोर्टफोलियो: कमेंट्री में करियर बनाने के लिए पोर्टफोलियो भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । इसमें अपने द्वारा बोली गई कमेंट्री के नमूने, अपनी बर्तमान उपलब्धियाँ और अपनी शिक्षा के बारे में पोर्टफोलियो बना सकते हैं और इसे खेल चैनलों और रेडियो स्टेशनों को भेज सकते हैं। नेटवर्किंग: कमेंट्री में करियर बनाने के लिए नेटवर्किंग भी बहुत ज़रूरी है। खेल कार्यक्रमों में भाग लिया जा सकता है, खेल पत्रकारों से मिल सकते हैं और खेल संगठनों से जुड़ सकते हैं। इससे कमेंट्री के क्षेत्र में अवसरों के बारे में जानकारी मिल जाती है । अनुभव: कमेंट्री में अनुभव बहुत मायने रखता है। इसलिए छोटे-मोटे खेलों की कमेंट्री करके अपना अनुभव बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा, स्कूल और कॉलेज के कार्यक्रमों में भी कमेंट्री करके अनुभव प्राप्त किया जा सकता है । आत्मविश्वास: एक अच्छा कमेंटेटर बनने के लिए आत्मविश्वास बहुत ज़रूरी है। अपनी आवाज, भाषा और ज्ञान पर विश्वास होना जरुरी है कमेंटेटर को क्या क्या सुबिधायें मिलती हैं आमतौर पर, मैचों के दौरान कमेंटेटरों के ठहरने और आने-जाने की व्यवस्था का जिम्मा ब्रॉडकास्टिंग कंपनी या स्पोर्ट्स चैनल का होता है जो मैच का प्रसारण कर रहा होता है। ब्रॉडकास्टिंग कंपनी या चैनल: जिस चैनल पर मैच प्रसारित हो रहा है, वह कमेंटेटरों के ठहरने और यात्रा की व्यवस्था करता है। इसमें होटल बुकिंग, फ्लाइट टिकट और स्थानीय परिवहन(लोकल ट्रांसपोर्ट ) शामिल है। मैच आयोजक: कभी-कभी मैच के आयोजक भी कमेंटेटरों के लिए आवास और परिवहन की व्यवस्था करते हैं, खासकर जब कोई बड़ा टूर्नामेंट या विशेष आयोजन हो रहा हो। कमेंटेटरों के साथ हुए अनुबंध में यह स्पष्ट रूप से लिखा होता है कि उनके ठहरने और यात्रा की व्यवस्था कौन करेगा। व्यवस्था में शामिल कुछ बातें: यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि व्यवस्थाएं अलग-अलग मैचों और टूर्नामेंटों के अनुसार भिन्न
न्यूजीलैंड की शानदार जीत- फिलिप्स के कैच ने लूटी महफिल

चैंपियंस ट्रॉफी के पहले ही मैच में न्यूजीलैंड ने पाकिस्तान को 60 रनों से करारी शिकस्त दी। पहले बल्लेबाजी करते हुए न्यूजीलैंड ने 320 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया, जिसके जवाब में पाकिस्तान की पूरी टीम 47.2 ओवर में 260 रन बनाकर ऑल आउट हो गई। इस मैच में कई यादगार पल आए, लेकिन सबसे खास रहा ग्लेन फिलिप्स का शानदार कैच। ओ’रूर्के की गेंद पर मोहम्मद रिजवान का उड़ता हुआ कैच पकड़कर फिलिप्स ने दर्शकों का दिल जीत लिया। यह कैच इतना अद्भुत था कि हर कोई देखता रह गया। फिलिप्स की फुर्ती और चपलता देखते ही बनती थी। उन्होंने गेंद को इतनी तेजी से पकड़ा कि बल्लेबाज को भी समझ में नहीं आया कि क्या हुआ। यह कैच सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हो रहा है। क्रिकेट फैंस इस कैच की जमकर तारीफ कर रहे हैं फिलिप्स का यह कैच न सिर्फ न्यूजीलैंड के लिए महत्वपूर्ण विकेट लेकर आया । इस कैच के बाद पाकिस्तान की टीम दबाव में आ गई और अंततः मैच हार गई। ग्लेन फिलिप्स की फील्डिंग हमेशा ही शानदार रही है। उन्होंने कई मौकों पर अपनी टीम के लिए महत्वपूर्ण कैच पकड़े हैं। इस कैच के साथ उन्होंने एक बार फिर अपनी बेहतरीन फील्डिंग का नमूना पेश किया है। इससे पहले उन्होंने बल्लेबाजी करते हुए भी अच्छे हाथ दिखाए और 39 गेंदों में 4 छक्कों और 3 चौकों की मदद से 61 रन बनाये और नूज़ीलैण्ड को 320 रन तक पहुँचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
बाबर आजम की धीमी पारी ने पाकिस्तान को हरवाया

नूज़ीलैण्ड ने पहले खेलते हुए 320 रन बनाये। विल यंग ने 113 गेंदों में 107 रन बनाये। टॉम लाथम ने 104 गेंदों में 118 रन बनाये और अपने पिछले मैच की फॉर्म लो बरकरार रखा। ग्लेन फिलिप्स ने अंत में 39 गेंदों में 61 रन बनाये उन्होंने 4 छक्के और 3 चौके लगाए। लेकिन पाकिस्तान की तरफ से लक्ष्य का पीछा करते हुए, जहां टीम को तेज रन बनाने की जरूरत थी, बाबर आजम ने 90 गेंदें खेलकर केवल 64 रन बनाए और 52 गेंदे तो उन्होंने डॉट बॉल ही खेल ली और टीम को जीत दिलाने की कोशिश नहीं की। उनकी इस धीमी पारी की वजह से पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा। बाबर आजम की इस पारी की काफी आलोचना हो रही है। क्रिकेट फैंस का मानना है कि बाबर आजम को टीम की जरूरत को समझना चाहिए था और तेज रन बनाने की कोशिश करनी चाहिए थी। कुछ क्रिकेट फैंस का यह भी मानना है कि बाबर आजम को अपनी पारी की शुरुआत से ही तेज रन बनाने की कोशिश करनी चाहिए थी। बाबर आजम की इस धीमी पारी की वजह से पाकिस्तान की मध्यक्रम पर दबाव आ गया जिससे पूरी टीम 47.2 ओवर में 260 रन बनाकर आल आउट हो गई और टीम को हार का सामना करना पड़ा। यह देखना होगा कि बाबर आजम इस आलोचना का किस तरह से जवाब देते हैं और आगे आने वाले मैचों में किस तरह का प्रदर्शन करते हैं।
क्या अफगानिस्तान सेमीफाइनल में जगह बना सकता है ?

ग्रुप बी में ऑस्ट्रेलिया, अफगानिस्तान, दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड जैसी टीमें हैं। ऐसे में अफगानिस्तान के लिए सेमीफाइनल में क्वालीफाई करना एक मुश्किल चुनौती होगी। हालांकि, कुछ परिस्थितियां ऐसी हैं जो अफगानिस्तान के लिए उम्मीदें जगाती हैं दक्षिण अफ्रीका की हालिया फॉर्म दक्षिण अफ्रीका की टीम हाल ही में पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के साथ त्रिकोणीय श्रृंखला में बुरी तरह से हारी है। उनकी फॉर्म को देखते हुए अफगानिस्तान के पास उन्हें हराने का मौका हो सकता है। ऑस्ट्रेलिया की चोटें ऑस्ट्रेलिया के कई प्रमुख खिलाड़ी चोटिल हैं। ऑलराउंडर मिचेल मार्श अनफिट हैं। जोश हेजलवुड और पैट कमिंस चोटिल होकर बाहर हो गए हैं । उनकी अनुपस्थिति टीम को कमजोर कर सकती है और अफगानिस्तान के लिए यह एक अच्छा अवसर हो सकता है। इंग्लैंड की निरंतरता इंग्लैंड की टीम वनडे में लंबे समय से लगातार जीत नहीं पाई है। उनकी इस कमजोरी का फायदा अफगानिस्तान उठा सकता है हालांकि, यह भी सच है कि अफगानिस्तान को सेमीफाइनल में पहुंचने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा। निष्कर्ष: अफगानिस्तान के लिए सेमीफाइनल में क्वालीफाई करना एक मुश्किल काम है, लेकिन असंभव नहीं। अगर वे अपनी क्षमता के अनुसार खेलते हैं और कुछ परिस्थितियां उनके पक्ष में होती हैं, तो वे निश्चित रूप से उलटफेर कर सकते हैं।
T-20 विश्व कप जीतने पर भारतीय टीम को कितना पुरस्कार मिला

अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद् (ICC) के टी-20 क्रिकेट विश्व कप (9वें) का खिताब दक्षिण अफ्रीका को फाइनल में 7 रन से मे हराकर भारत ने जीता है। भारत ने दूसरी बार टी-20 विश्व कप की यह ट्रॉफी अपने नाम की है। इससे पूर्व 2007 में पहला टी-20 विश्व कप भारत ने जीता था। भारत 2 बार टी-20 विश्व कप जीतने वाला तीसरा देश है। इससे पूर्व वेस्टइंडीज व इंग्लैण्ड को ही यह श्रेय प्राप्त है। भारतीय टीम ने इस विश्व कप में अपने 8 मैचों में एक भी मैच में पराजय (7 मैच विजय व । का परिणाम नहीं) का सामना नहीं किया। इस प्रकार क अजेय रहते हुए ट्रॉफी जीतने वाला पहला देश भारत बना है। वनडे क्रिकेट का विश्व कप भी 2 बार (अंतिम बार 2011 में) ही भारत ने जीता है। इस प्रकार 13 वर्ष के अंतराल के पश्चात् आईसीसी विश्व कप की कोई ट्रॉफी भारत को प्राप्त हुई है। इस विश्व कप में भारतीय टीम के कप्तान रोहित शर्मा तथा मुख्य कोच राहुल द्रविड़ थे। टीम में शामिल खिलाड़ियों के नाम निम्नलिखित थे- रोहित शर्मा (कप्तान), हार्दिक पंड्या (उप कप्तान), यशस्वी जायसवाल, विराट कोहली, सूर्यकुमार यादव, ऋषभ पंत, संजू सैमसन, शिवम दुबे, रविंद्र जडेजा, अक्षर पटेल, कुलदीप यादव, युजवेन्द्र चहल, अर्शदीप सिंह, जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज इस विश्व कप में खिताबी विजय के साथ ही भारत के स्टार क्रिकेटर्स रोहित शर्मा, विराट कोहली व रविन्द्र जडेजा ने टी-20 अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया। इस विश्व कप की विजेता टीम को 2.45 मिलियन डॉलर तथा उपविजेता टीम को 1.28 मिलियन डॉलर मिले। टी-20 विश्व कप (2024) के तहत् आईसीसी द्वारा टीमों को प्रदत्त पुरस्कार राशियों टीम स्थिति टीमों की संख्या प्रति टीम कुल टीम विजेता 1 $2-45 मिलियन $2-45 मिलियन उपविजेता 1 $1-28 मिलियन $1-28 मिलियन सेमीफाइनल तक पहुँची टीमें 2 $ 7,87,500 $ 1-575 मिलियन 5वे से 8वें स्थान पर रही टीमें 4 $ 3,82,500 $ 1-53 मिलियन 9वें से 12वें स्थान पर रही टीमें 4 $ 2,47,500 $ 0-99 मिलियन 13वें से 20वें स्थान पर रही टीमें 8 $ 2,25,000 $ 1-18 मिलियन प्रत्येक मैच जीतने पर टीम को दी गई पुरस्कार राशि (फाइनल व सेमीफाइनल के अतिरिक्त) 52 $31,154 $ 1-62 मिलियन योग 20 $ 11-25 मिलियन
नूज़ीलैण्ड ने फाइनल मुकाबले में पाकिस्तान को 5 विकेट से हराया

नूज़ीलैण्ड टीम आजकल घर में घुस कर मार रही है भारत को उसके घर में घुसकर टेस्ट श्रृंखला में 3-0 से हराने वाली टीम के हौंसले इस समय सातवें आसमान पर हैं और उसने पाकिस्तान को भी उसके घर में घुसकर हरा दिया है। नूज़ीलैण्ड को नॉकऑउट मुकाबलों में हराने की क़ाबलियत केवल ऑस्ट्रेलिया ही रखती है जो इस समय श्रीलंका से बुरी तरह से हार चुकी है। नूज़ीलैण्ड टीम की आलराउंडर क्षमता उसको बाकि टीमों से अलग करती है और इस आधार पर वो चैंपियन ट्रॉफी जीतने की प्रवल दावेदार है। चैंपियन ट्रॉफी से पहले श्रीलंका से 2-0 से हारी ऑस्ट्रेलिया पढ़ने के लिए क्लिक करें आज के मैच में टॉस पाकिस्तान ने जीता आज का फाइनल नूज़ीलैण्ड और पाकिस्तान के बीच खेला गया जिसमे पाकिस्तान के कप्तान मोहम्मद रिज़बान ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी का फैसला लिया परन्तु पाकिस्तान की पूरी टीम 242 रन बनाकर आल आउट हो गई। पाकिस्तान की पारी का सफर पाकिस्तान की शुरुआत अच्छी नहीं रही और उनके शुरुआती विकेट जल्दी-जल्दी गिर गए। फखर जमान (10 रन) और बाबर आजम (29 रन) जैसे महत्वपूर्ण बल्लेबाज सस्ते में आउट हो गए। उसके बाद कप्तान मोहम्मद रिजवान और सलमान आगा ने पारी को संभालने की कोशिश की और कुछ महत्वपूर्ण रन जोड़े। रिजवान ने 46 रन बनाए जबकि सलमान आगा ने 45 रनों का योगदान दिया। मध्यक्रम के बल्लेबाजों ने भी कुछ अच्छे शॉट्स खेले लेकिन वे बड़ी पारी खेलने में नाकाम रहे। तैयब ताहिर ने 38 रन और फहीम अशरफ ने 22 रन बनाए। निचले क्रम के बल्लेबाज कुछ खास नहीं कर पाए और पूरी टीम 242 रन पर सिमट गई । न्यूजीलैंड की गेंदबाजी काफी अच्छी रही और उन्होंने पाकिस्तान के बल्लेबाजों को खुलकर खेलने का मौका नहीं दिया। नूज़ीलैण्ड के उभरते हुए सितारे ओ’ रौरके ने 4 विकेट लिए जबकि ब्रेसवेल और सेंटनर ने 2-2 विकेट हासिल किए। न्यूजीलैंड की शानदार जीत: 243 रनों का लक्ष्य आसानी से चेस किया पाकिस्तान द्वारा बनाये गए 242 रनो का पीछा करते हुए न्यूजीलैंड ने शानदार बल्लेबाजी का प्रदर्शन करते हुए लक्ष्य को आसानी से चेस कर लिया। डेवोन कॉनवे ने 48 रनों की महत्वपूर्ण पारी खेली जबकि केन विलियमसन ने 34 रन बनाए। डैरिल मिशेल और टॉम लैथम ने तूफानी बल्लेबाजी करते हुए मैच का रुख पूरी तरह से न्यूजीलैंड की ओर मोड़ दिया। मिशेल ने 57 रन बनाए, जबकि लैथम ने 56 रनों की पारी खेलते हुए चैंपियन ट्रॉफी से पहले फॉर्म में वापसी के संकेत दिए। वो इससे पहले के 3 मैचों में अपना खाता भी नहीं खोल पाए थे। न्यूजीलैंड ने 45.2 ओवर में ही 243 रनों के लक्ष्य को हासिल कर लिया और 5 विकेट से जीत दर्ज की। पकिस्तान के लिए नसीम शाह ने 2 तथा शाहीन शाह अफरीदी, अबरार अहमद तथा सलमान आगा ने 1-1 विकेट लिया। ओ रौरकी को मैन ऑफ़ द मैच तथा सलमान आगा को मैन ऑफ़ द सीरीज का पुरस्कार दिया गया।
चैंपियन ट्रॉफी से पहले श्रीलंका से 2-0 से हारी ऑस्ट्रेलिया : क्या इस बार चैंपियन ट्रॉफी जीत पाएगी?

क्रिकेट जगत में उलटफेर होते रहते हैं और हाल ही में एक ऐसा ही उलटफेर देखने को मिला। चैंपियन ट्रॉफी से पहले, श्रीलंका, जो चैम्पियन ट्रॉफी की प्रतियोगिता के लिए क्वालीफाई भी नहीं कर पाई है, उसने ऑस्ट्रेलिया को ओडीआई सीरीज में 2-0 से हराकर एक बड़ा झटका दिया है। पहले एकदिवसीय मैच में जहाँ ऑस्ट्रेलिया 165 रन पर आलआउट हो गई तो वहीं दूसरे मैच में ऑस्ट्रेलिया केवल 107 रन ही बना सकी। श्रीलंका ने पहला मैच 49 रन तथा दूसरा मैच 174 रन के बड़े अंतर से जीता और ऑस्ट्रेलिया को बड़ी ही आसानी से हरा दिया। यह हार ऑस्ट्रेलिया का मनोबल गिराने वाली है खासकर तब जब उनके कई खिलाड़ी चोटों से जूझ रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया की चोटिल ब्रिगेड ऑस्ट्रेलिया की टीम इस समय चोटों से बुरी तरह प्रभावित है। उनके कई अहम खिलाड़ी चोटिल हैं जिनमें ऑलराउंडर मिशेल मार्श, पैट कमिंस और जोश हेजलवुड जैसे बड़े नाम शामिल हैं। इन खिलाड़ियों की चोटों ने टीम की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। मिशेल मार्श: मार्श की ऑलराउंड क्षमता टीम के लिए बेहद अहम है। उनकी चोट से टीम को बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में नुकसान होगा। पैट कमिंस: कमिंस की तेज गेंदबाजी और अनुभव टीम के लिए काफी मायने रखता है। उनकी चोट से टीम की गेंदबाजी में धार कम हो सकती है साथ ही वो टीम के कप्तान हैं इसलिए ऑस्ट्रेलिया को कप्तान के विकल्प की भी तलाश करनी होगी। जोश हेजलवुड: हेजलवुड की सटीक लाइन और लेंथ वाली गेंदबाजी किसी भी बल्लेबाज के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है। उनकी चोट से टीम की गेंदबाजी और कमजोर हो सकती है। इन खिलाड़ियों के अलावा भी कुछ और खिलाड़ी चोटिल हैं जिससे टीम की बेंच स्ट्रेंथ भी प्रभावित हो रही है। क्या ऑस्ट्रेलिया लगा पाएगी कोई तिकड़म? ऑस्ट्रेलिया हमेशा से ही बड़े टूर्नामेंट्स में अपनी मजबूत रणनीति और कुशल खिलाड़ियों के दम पर अच्छा प्रदर्शन करती आई है लेकिन इस बार उनकी राह आसान नहीं दिख रही है। एक तरफ श्रीलंका से मिली हार ने टीम के मनोबल को गिरा दिया है तो दूसरी तरफ खिलाड़ियों की चोटों ने टीम की चिंता बढ़ा दी है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या ऑस्ट्रेलिया इन मुश्किलों के बावजूद चैंपियन ट्रॉफी जीत पाएगी? यह तो वक्त ही बताएगा कि ऑस्ट्रेलिया की टीम इन मुश्किलों का सामना कैसे करती है और क्या वह चैंपियन ट्रॉफी जीतने में सफल हो पाती है या नहीं लेकिन एक बात तो तय है कि ऑस्ट्रेलिया के लिए यह राह आसान नहीं होने वाली है उन्हें हर कदम पर चुनौतियों का सामना करना होगा।
मैच फिक्सिंग और स्पॉट फिक्सिंग में है गज़ब का अंतर

भारत में क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं, यह एक धर्म है, एक जुनून है, एक संस्कृति है। यह सिर्फ बल्ले और गेंद का खेल नहीं, यह भावनाओं का, एकता का और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है। लेकिन जब इसमें स्पॉट फिक्सिंग और मैच फिक्सिंग जैसे दाग लगते हैं, तो करोड़ों प्रशंसकों का दिल टूट जाता है। परन्तु फिर भी क्रिकेट के प्रति भारतीयों का प्यार कभी कम होता और वो इस खेल को पहले की तरह ही प्यार देते रहते हैं। 2013 में आईपीएल के दौरान देखने को मिली थी स्पॉट फिक्सिंग सट्टेबाजी ने खिलाडियों के साथ बॉलीबुड की हस्तियों के साथ साथ बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन तक को पुलिस की गिरफ्त में पहुँचा दिया था जिससे सुप्रीम कोर्ट ने श्रीनिवासन को बीसीसीआई के अध्यक्ष पद से हटा दिया था। मई 2013 में आईपीएल-VI के दौरान स्पॉट फिक्सिंग के तीन अलग अलग मामलों के खुलासे के पश्चात् राजस्थान रॉयल्स के तीन क्रिकेटरों श्रीसंत, अंकित चव्हाण व अजीत चंडीला को दिल्ली पुलिस के स्पेशल सैल ने 16 मई को मुम्बई में गिरफ्तार किया था। 11 अन्य सटोरियों को भी उसी दिन पुलिस ने अलग-अलग स्थानों से गिरफ्तार किया जिन्होंने गिरफ्तार किए गए तीनों खिलाड़ियों को विगत 10 दिनों में हुए तीन मैचों में एक-एक ओवर ‘फिक्स’ करने के लिए 1.2 करोड रुपए से अधिक की राशि प्रदान की थी। जिन मैचों में स्पॉट फिक्सिंग का खुलासा हुआ था उनमें मैच फिक्सिंग और स्पॉट फिक्सिंग होती क्या है और ये मैच को किस तरह से प्रभावित करती है नाम से ही स्पष्ट है कि क्रिकेट के खेल में ‘मैच फिक्सिंग’ व ‘स्पॉट फिक्सिंग’ अलग-अलग घटनाएं हैं। ‘मैच फिक्सिंग’ के तहत् जहाँ पूरे मैच का परिणाम ‘फिक्स’ किया जाता है वहीं ‘स्पॉट फिक्सिंग’ के तहत् मैच में किसी गेंद विशेष या ओवर विशेष के लिए फिक्सिंग की जाती है। क्या है स्पॉट फिक्सिंग जब कोई खिलाड़ी या खिलाड़ियों का समूह, मैच के किसी खास पल को फिक्स करने के लिए पैसे लेता है उसे स्पॉट फिक्सिंग कहा जाता है । जैसे कि, किसी ओवर में कितने रन बनेंगे, कोई खिलाड़ी कब आउट होगा, कौन सी गेंद नो गेंद होगी कौन सी गेंद पर चौका या छक्का लगेगा आदि। जैसे मान लो कोई t-20 मैच चल रहा है और एक टीम 19 ओवर में 198 रन बना चुकी है और तय है कि वो टीम आराम से 20 ओवर में 200 रन के पर चली जाएगी परन्तु स्पॉट फिक्सिंग के तहत क्रीज पर जो बल्लेबाज है वो इस तरह से खेलेगा जैसे गेंद उसके बल्ले पर नहीं आ रही और बॉलर बहुत अच्छी बॉलिंग कर रहा है। इस प्रकार टीम 199 पर ही रुक जाएगी और 200 रन के पार नहीं जाएगी इसको स्पॉट फिक्सिंग कहते हैं। स्पॉट फिक्सिंग मैच के नतीजे को प्रभावित नहीं करता। मैच फिक्सिंग क्या है मैच फिक्सिंग में, पूरे मैच के नतीजे को फिक्स किया जाता है। इसमें खिलाड़ी, बुकी और अन्य लोग शामिल होते हैं। यह क्रिकेट के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है, क्योंकि यह खेल की भावना को ही खत्म कर देता है। क्रिकेट: जनून के साथ साथ एक खतरनाक जोखिम भरा खेल पढ़ने के लिए क्लिक करें
क्रिकेट: जनून के साथ साथ एक खतरनाक जोखिम भरा खेल

क्रिकेट, भारत में सबसे लोकप्रिय खेलों में से एक है, जिसे अक्सर “जेंटलमैन गेम” कहा जाता है। लेकिन क्या यह वास्तव में इतना “भद्र” है? कई घटनाएं ऐसी हुई हैं जो इस खेल की खतरनाक साइड को उजागर करती हैं। अभी हाल ही में नूज़ीलैण्ड के रचिन रविंद्रा, पाकिस्तान के खिलाफ एक मैच के दौरान, फ्लड लाइट (floodlights) के कारण गेंद को अच्छी तरह से नहीं देख पाए जिससे गेंद उनके चेहरे पर लगी और वह बुरी तरह घायल हो गए। परन्तु ये पहला मौका नहीं है कि कोई खिलाडी मैच के दौरान चोटिल हुआ हो कुछ मौकों तो खिलाडियों को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ा है। क्रिकेट की दुखद घटनाएं क्रिकेट का खेल एक भयानक वास्तविकता है जो खेल के मैदान को त्रासदी में बदल सकती है। यह उस स्थिति को दर्शाता है जब क्रिकेट मैच के दौरान कोई गंभीर दुर्घटना होती है, जिसके परिणामस्वरूप खिलाड़ियों या दर्शकों को गंभीर चोटें आती हैं, या दुर्भाग्यवश, किसी की जान भी जा सकती है। खतरनाक पहलू तेज गेंदबाजों की गेंदें 150 किलोमीटर प्रति घंटे से भी अधिक की गति से आती हैं, जो बल्लेबाजों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती हैं। कई बार गेंद लगने से खिलाड़ियों की हड्डियां टूट जाती हैं या उन्हें गंभीर चोटें आती हैं। क्रिकेट में फील्डिंग के दौरान भी खिलाड़ियों को जोखिम होता है। कैच लेते समय या गेंद को रोकने के प्रयास में कई बार खिलाड़ी चोटिल हो जाते हैं। फिलिप ह्यूज की मौत के बाद क्रिकेट में बहुत से बदलाब किये गए फिलिप ह्यूज की दुखद मौत के बाद क्रिकेट जगत में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जिनका उद्देश्य खिलाड़ियों की सुरक्षा को बढ़ाना है। इनमें से कुछ प्रमुख बदलाव इस प्रकार हैं हेलमेट में सुधार: फिलिप ह्यूज की घटना के बाद हेलमेट निर्माताओं ने हेलमेट के डिज़ाइन में सुधार किए हैं। अब हेलमेट में गर्दन के पिछले हिस्से को ढकने के लिए अतिरिक्त सुरक्षात्मक गार्ड लगाए जाते हैं। कनकशन प्रोटोकॉल: कन्कशन का मतलब है, सिर पर चोट लगने के कारण होने वाली हल्की मस्तिष्क चोट। खिलाड़ियों के सिर में चोट लगने के बाद कनकशन (Concussion) की जांच के लिए नए प्रोटोकॉल बनाए गए हैं। यदि किसी खिलाड़ी को गेंद लगती है या सिर में कोई अन्य चोट लगती है, तो मैदान पर ही उसकी जांच की जाती है। यदि कनकशन के लक्षण दिखाई देते हैं, तो खिलाड़ी को मैदान से बाहर कर दिया जाता है और उसे चिकित्सा सहायता प्रदान की जाती है और उसी स्तर के दूसरे खिलाडी को टीम में खिलाया जाता है। अभी हाल ही में हर्षित राणा को कनकशन सब्स्टिटूट के रूप शिवम् दुबे की जगह खिलाने पर बहुत विवाद हुआ था। बाउंसर नियम: बाउंसर गेंदों के इस्तेमाल को लेकर भी कुछ नियम बदले गए हैं। अब गेंदबाजों को बाउंसर की संख्या को सीमित कर दिया है ताकि बल्लेबाजों पर अधिक दबाव न बने। इसके साथ ही अंपायरों को भी यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि बाउंसर खतरनाक न हों। खिलाड़ियों की मानसिकता में बदलाव: फिलिप ह्यूज की घटना के बाद खिलाड़ियों की मानसिकता में भी बदलाव आया है। अब गेंदबाज बल्लेबाजों को निशाना बनाने से बचते हैं और उनकी सुरक्षा का ध्यान रखते हैं। इसके साथ ही बल्लेबाज भी अधिक सतर्क रहते हैं और सुरक्षा उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं। चिकित्सा सहायता में सुधार: क्रिकेट मैचों के दौरान चिकित्सा सहायता में भी सुधार किया गया है। अब मैदान पर हमेशा प्रशिक्षित चिकित्सा कर्मचारी मौजूद रहते हैं, जो किसी भी आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई कर सकें। क्रिकेट की कठोर गेंद: एक चुनौती और खतरा क्रिकेट के खेल में , क्रिकेट की गेंद का एक अहम रोल होता है। और जब बात क्रिकेट की गेंद की हो, तो उसकी कठोरता का जिक्र होना लाजिमी है। क्रिकेट की गेंद, खासकर नई गेंद, काफी कठोर होती है। यह कठोरता गेंदबाजों के लिए एक हथियार साबित होती है, जिससे उन्हें गेंद को स्विंग कराने और गति प्राप्त करने में मदद मिलती है। लेकिन यही कठोरता बल्लेबाजों के लिए एक चुनौती और खतरा भी पैदा करती है। क्रिकेट की गेंद बनाने में कई तरह की सामग्री का इस्तेमाल होता है, और हर एक सामग्री का अपना खास काम होता है। कॉर्क (Cork): धागा (Yarn): चमड़ा (Leather): सिलाई (Stitching):